सभी कथा प्रेमियों ने ब्रज की होली का भी आनंद लिया। भागवत प्रेमियों ने एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाकर भगवान श्रीकृष्ण साथ होली खेली। कथाबाचक अतुल कृष्ण महाराज ने भगवान श्री कृष्ण ओर सुदामा की दोस्ती का बिस्तृत ब्याख्यान कर ओर आकर्षक झांकी निकालकर कथा सुनने बैठे श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा दौरान अतुल कृष्ण ने कहा संतों के हृदय में परमात्मा का द्वार है। संत के वचन गुलाब के फूल जैसे होते हैं। विज्ञान, गणित, भाषा और तर्क की कसौटी पर इन वचनों को नहीं कसना चाहिए, नहीं तो अन्याय हो जाएगा. वे तो वंदनाएं हैं, अर्चनाएं हैं, प्रार्थनाएं हैं. वे तो आकाश की तरफ उठी हुई आंखें हैं. वे पृथ्वी की आकांक्षाएं हैं, चांद तारों को छू लेने के लिए. उस अभीप्सा को पहचानना. वह अभीप्सा समझ में आने लगे, तो संत का हृदय तुम्हारे सामने खुलेगा। उन्होंने कहा कि गुलाब की पहचान तो उन आंखों में होती है जो गुलाब के इतिहास में नहीं उलझतीं, गुलाब की भाषा में नहीं उलझतीं, गुलाब के विज्ञान में नहीं उलझतीं. जो सीधे-सीधे, नाचते हुए गुलाब के साथ नाच सकता है, जो सूरज की रोशनी में खिले गुलाब के साथ उसके सौंदर्य को पी सकता है, जो भूल ही सकता है अपने को गुलाब में. जो डुबा सकता है अपने को गुलाब में और गुलाब को अपने में डूब जाने दे सकता है, वही गुलाब को वास्तव में जानेगा। अतुल कृष्ण जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत मुक्ति शास्त्र है। ईश्वर अव्याख्य है, अनिर्वचनीय है. पर इस कठिन कार्य को प्रेम से भरे संतों के हृदय ने सारे संसार के लिए गीतों में व्यक्त किया. प्रभु को देखने के लिए अत्यंत सूक्ष्म एवं प्रीति से भरी आंखें चाहिए। उसे आलिंगन करने के लिए अत्यंत सरल, निर्दोष एवं श्रद्धा से भरी बाहें होनी चाहिए. भगवान की कथा सुनने वाला संसार से मुक्त ही हो जाता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता. इस बात के लिए परीक्षित साक्षी हैं। आज कथा में भगवान श्री कृष्ण का महारास, कंस वध, गुरुकुल में भगवान का विद्याध्ययन, द्वारका नगर की स्थापना एवं देवी रुक्मिणि से विवाह का प्रसंग आकर्षण का केंद्र रहा।इस मौके पर मुख्य यजमान तृपता परवान, नप सदस्य सुमन वर्मा, मोनिका काजल, पूर्ब बी डी सी अध्यक्ष पुष्पा चौधरी, रबिन्द्र कपूर, एडवोकेट ओम प्रकाश चौधरी, मोनिका कथूरिया, तुलसी राम, मुलख राज, मोहित सैनी, परवीन वर्मा, अश्वनी शर्मा, सहित सेंकड़ों भागवत प्रेमियों ने हिस्सा लिया।